भारतीय संस्कृति में, सनातन संस्कृति में हर पर्व का एक अनोखा स्थान है । क्योंकि सनातन धर्म की पहचान ही पर्व से ही होती है । यह महोत्सव त्यौहार और पर्व ही सनातन धर्म का उद्गम स्थान है, उनको आधार स्तंभ भी कहा जाता है । इसलिए हिंदू धर्म में सारे पर्व, त्योहार और महोत्सव धाम धूमसे मानते हैं । ऐसा ही एक पावन पर्व हमारे सनातन धर्म में आता है । और वह नवरात्रि पर्व, नवरात्रि महोत्सव……. जो पूरे भारत भर में मनाया जाता है । नवरात्रि पर्व, त्यौहार को हमारे ऋषि मुनियों ने, साधु संतों ने वेदों पुराणों में और शास्त्रों में उनकी बहुत भारी महिमा का वर्णन किया है । यह त्यौहार आदि अनादि काल से चला आता है । और बहुत प्राचीन भी बताया जाता है । नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति का गौरव है, उनकी शान है और मुख्य त्योहारों में उनकी गणना होती है ।
तो आज हम जानेंगे की नवरात्रि पर्व हम क्युं मनाते हैं ? और उनका महत्व क्या है ?
🌺 नवरात्रि यानी के 9 दिन चलने वाला त्यौहार…….. यह त्यौहार माॅं आद्याशक्ति जगदंबा की आराधना, पूजा, अर्चना करने का त्यौहार है । इसी दिन साधक भाई- बहन और भक्तजन पूरे आनंद उल्लास के साथ इस त्यौहार मनाते हैं और साथ में व्रत, उपवास, जप-तप विगेरे जैसी साधना भी करते हैं ।
पहले हम जानेंगे की नवरात्रि पर्व हम क्यों मनाते हैं ? यह त्यौहार साल में दो बार आता है । हमारे भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का त्योहार दो है…… एक तो चैत्र नवरात्रि है और दूसरी शारदीय नवरात्रि..….. इनमें से हम आज यहां शारदीय नवरात्रि के बारे में बताने का प्रयास करेंगे ।
शारदीय नवरात्रि हर आसो माह की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से लेकर 9 दिन तक यह पर्व चलता है । यह त्यौहार 9 दिन चलता है, इसलिए हम इसे नवरात्रि कहते है ।
यह त्यौहार मनाने के पीछे का कारण हमारे शास्त्रों में उनकी बहुत बड़ी कथा का वर्णन किया है , लेकिन यहां हम टूंक में इस कथा का वर्णन करेंगे । ठीक है………
यदि मुझे समय मिलेगा तो मेरे नेक्स्ट ब्लॉग में मैं विस्तार से इस कथा को बताने का प्रयास करूंगा । ठीक है ………🌿🌿🌿
हमारे शास्त्रों, में पुराणों में नवरात्रि की कथा बहुत प्राचीन बताई गई है । यह कथा का संबंध माॅं दुर्गा और महिषासुर नाम का दैत्य से जुड़ा हुआ है । महिषासुर एक ऐसा दैत्य था जिन्होंने पूरी पृथ्वी तो क्या पूरे स्वर्ग में अपना आसन बिछा दिया था । महिषासुर कोई आम दैत्य नहीं था । लेकिन बहुत शक्तिशाली, बलवान और पराक्रमी दैत्य था । उनके पास कई सारी शक्तियां थी । क्योंकि ब्रह्माजी ने उनको वरदान दिया था । इसलिए उनको युद्ध में परास्त करना देवों की बस की बात नहीं थी । और साथ में कई सालों तक उनका जुलम अत्याचार पृथ्वी और स्वर्गलोक में बढ़ गया था । और पृथ्वी पर तो उनका हद पार से अत्याचार बढ़ गया था । जिससे आम व्यक्ति का जीना भी बहुत कठिन हो गया था । ऐसा वह दानव था । आगे कथा कहती है…. कि महिषासुर का इतना अत्याचार बढ़ गया था कि स्वयं भगवान नारायण और ब्रह्माजी माता पार्वती के पास गए थे और माता पार्वती के आगे बहुत अर्चना भक्ति की तब माता पार्वती प्रसन्न होकर उनको कहा कि मैं महिषासुर दैतय का नाश करूंगी और पूरे पृथ्वी और स्वर्ग का दुख कष्ट और भार दूर करूंगी । तब माता पार्वती ने अपने दूसरे स्वरूप को वहां प्रकट किया । जो उसे हम दुर्गा माता के नाम से जानते हैं । वहीं दुर्गा माता ने महिषासुर दैत्य के साथ युद्ध किया था । और कथा कहती है कि…… वह युद्ध 9 दिन तक चला था । और दसवें दिन माॅं दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था । इसलिए हम विजयादशमी का उत्सव भी मनाते हैं और यही खुशी के कारण आज तक हम नवरात्रि का उत्सव मनाते हैं । यानी कि आसुरी वृत्ति का क्षय हो और दैवी वृति पर विजय प्राप्त हो……इसी कारण हम नवरात्रि पर्व मनाते हैं ।
गुजरात में यह उत्सव बहुत धाम धूमसे मनाते हैं और भी राज्य में यह उत्सव मनाते हैं लेकिन गुजरात में तो पूरे तन मन धन से यह उत्सव को मनाया जाता है । यह उत्सव यानी के नवरात्रि पर्व मनाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है…… आप और हम सब लोग जानते हैं कि हमारा शरीर पूरा पृथ्वी के वायुमंडल के साथ जुड़ा हुआ है जैसे-जैसे ऋतु बदलती है वैसे-वैसे हमारे शरीर पर भी असर पड़ती है । उनमें से खास वर्षा ऋतु….. इन ऋतु में हमारी जठरागनी मंद रहती है । यानी की बहुत भारी खोराक खाने के बाद पाचन जल्द नहीं होता है । जिसके कारण हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ का प्रमाण बढ़ जाता है । और बाद में कई सारी बीमारियां होने की संभावना रहती है , लेकिन जब हम नवरात्रि के त्यौहार में गरबा घूमते हैं या डांडिया खेलते हैं तो हमारे पूरे शरीर में उर्जा उत्पन्न होती है । जिससे हमारा वात-पित्त-कफ पिगलने लगता है । और हमारा शरीर फिर से स्वस्थ और तंदुरुस्त का एहसास करता है । जिससे आने वाले ठंड की ऋतु में हम भरपूर खुराक ले सकते हैं और हमारा शरीर मजबूत और निरोग रहता है । इसीलिए भी हम यह नवरात्रि पर्व मनाते है……….🌿🌿🌿
🌹अब हम जानेंगे की नवरात्रि का महत्व क्या है ?
नवरात्रि का महत्व हमारे शास्त्रों में और पुराणों में इनकी बहुत भारी महिमा बताई गई है । नवरात्रि यानी के नौ रात… जो पूरे नौ रात तक चलने वाला त्यौहार । हमारे शास्त्रों में नौ अंक को एक अजीब रहस्य वाला बताया है । इसी ९ अंक में कई सारे रहस्य छुपे हुए हैं । 9 अंकों देखा जाए तो ९ वाला नंबर काफी सारे लोग पसंद करते हैं । जैसे कि हमारा सौरमंडल में नवग्रह, हमारे शरीर में बताए गए नौ द्वार, नवधा भक्ति, नवरत्न, नवनाथ विगेरे ऐतिहासिक इशारे हमें 9 नंबर का ही बताते हैं । तो मानना पड़ेगा की 9 अंक में एक रहस्यमय शक्ति छुपी हुई है । आप देख सकते हैं कि हम जो माल का जाप करते हैं उसमें भी 108 की माला होती है चाहे वह रुद्राक्ष की माला हो, चाहे वह चंदन की माला हो, चाहे वह तुलसी की माला हो…….. इनमें 108 मनके होते हैं । जिनके हम काउंट करें तो टोटल नंबर 9 ही आता है । वैसे ही हम 360 डिग्री की बात करें तो उनमें भी काउंट करें तो 9 नंबर ही आता है । और हमारे एक सौराष्ट्र के महान भक्त हो गए जिनका नाम आप सभी लोगों ने सुना होगा……. गंगासती…..! गंगासती ब्रह्मज्ञानी संत थी । जिन्होंने अपने आत्म तत्व का अनुभव किया था । उन्हीं का एक भजन था ” बिजली के चमकारे मोतीडा परोवो पानबाई…….” और इसी भजन में एक और कड़ी आती है जिनमें था……” 21600 काल थासे जी……” 21600 का हम काउंट करे तो उनका भी टोटल 9 नंबर ही होता है । तो मानना ना पड़ेगा कि ९ नंबर एक रहस्य से भरा हुआ है ।🌿🌿🌿
इसी पर्व के दिन जो भी साधक या भक्तजन व्रत-जप या ध्यान-भजन करते है, तो उनका पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है । नवरात्रि के दिन किया हुआ जप-तप अक्षय माना गया है । इसलिए इसी दिन माॅं आद्याशक्ति जगदंबा की पूजा, अर्चना, आराधना की जाती है
जिससे हमारे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है । और माॅं आद्यशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो सदैव हमारे साथ रहता है । और हमारे जीवन में सदैव उन्नति का प्रकाश रहता है । यदि साधक जो अपने तन-मन-धन से नवरात्रि के दिन 9 दिन तक सेवा, पूजा और जप-तप करता है , और साथ में यम, नियम, संयम का पालन करता है, तो वह अपने आपको, अपने आत्म तत्व को प्राप्त कर लेता है । और वह सतत ९ दिन तक साधना चालू रखता है, तो कुछ ही दिन में वह साधक आत्म-साक्षात्कार कर लेता है । अपने आप का अनुभव कर लेता है । इसलिए नवरात्रि का इतना महत्व है…….नवरात्रि का में जितना भी वर्णन करू उतना कम है ..……. क्योंकि उनका वर्णन हम करने जाए, तो किताबों के किताबें कम पड़ जाएंगे । शास्त्रों भी उनका पूरा वर्णन नहीं कर सकता है, ऐसा नवरात्रि की महिमा है…..…🌿🌿🌿
🌹🌹🌹ओम………. ओम……… ओम…….. ओम…….. ओम……..!🌺🌺🌺
🌹🌹🌹 हरे राम…….. ! हरे राम……..! हरे राम……..!🌺🌺
🪻🪻 बोलो माॅं आद्यशक्ति जगदंबा माता की जय………🪻🪻