जय सियाराम …….जय सियाराम ……जय सियाराम ………
हरे राम….. हरे राम ……हरे राम ……..
भारतीय संस्कृति एक ऐसी संस्कृति है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और यह संस्कृति अपने आप में परिपूर्ण है । इसलिए हमें हमारी संस्कृति पर नाज भी है । क्योंकि यही संस्कृति बहुत प्राचीन बताई गई है । इसी संस्कृति में न जाने कितने सारे पर्व आते हैं, कितनी सारी पूजा विधिर्या होती है और कितने सारे देवी-देवता है, लेकिन उनमें से एक श्राद्ध पक्ष की विधि तो हमारे सनातन धर्म में एकदम हटके है । जो पूरे विज्ञान जगत को हिला कर रख दिया है । क्योंकि वह लोग भी समझ नहीं पा रहे हैं की मृत्यु पश्चात पितरों को दिया हुआ भोजन उन लोगों के पास कैसे पहुंचता है ? अभी तक विज्ञान के पास यह सवाल ? मार्क ही है , हमारे ये श्राद्ध पक्ष की विधि…… ओर यह ? मार्क ही रहेगा…… क्योंकि हमारे भारतीय संस्कृति, सनातन संस्कृति पूरे रहस्यो से भरी हुई हैं । उनको समझना आम व्यक्ति के लिए कठिन से भी कठिन है और विज्ञान तो कभी नहीं पकड़ पाएगा । यदि उनको पकड़ना चाहते हो या समझना चाहते हो तो आपको ब्रह्मवेता सद्गुरु की शरण में जाना पड़ता है, सच्चे संत, सच्चे भक्त के पास जाना पड़ता है । तब जाकर थोड़ा कुछ समझ सकोगे । बाकी रहस्य तो रहस्य ही है …….क्योंकि ऐसा ही एक श्राद्ध पक्ष का रहस्य हमारे प्रसिद्ध महाराष्ट्र के संत एकनाथ के साथ हुआ था । जिन्होंने उनकी भक्ति, साधना और तपस्च्श्रर्या के बल पर पितरों को अपने घर पर साक्षात भोजन खिलाने के लिए धरती पर लाए थे । और भोजन-जल आदि का ग्रहण करके वापस उनके पीतर लोक में भेज दिया था । क्योंकि यह इतिहास अभी भी हमारे शास्त्रों में गवाह है । यदि आपको जानना है यह सच्ची घटना तो संत एकनाथ की जीवन गाथा अवश्य पड़े । उनमें उनके जीवन का चरित्रार्थ बताया है । यदि मुझे थोड़ा कुछ समय मिलेगा तो मैं अपने next blog में संत एकनाथ जी की भक्ति मय गाथा अवश्य बताने का प्रयास करूंगा……ठीक है………🌺🌺🌺🌺
अब हम श्राद्ध की महिमा के बारे में कुछ बताएंगे…….ठीक है…… तो आज यहां हम श्राद्ध पक्ष के बारे में जानने का प्रयास करेंगे की श्राद्ध पक्ष है क्या ? और कब आता है ? और क्यु श्राद्ध कर्म किया जाता है ?🌿🌿🌿🌿 श्राद्ध पक्ष सनातन धर्म की एक ऐसी व्यवस्था है जो सिर्फ और सिर्फ भारतीय संस्कृति में, सनातन धर्म में ही देखी जाएंगी .….. ना ही कोई ओर संस्कृति में या अन्य धर्म में..…. तो यह श्राद्ध पक्ष की महिमा हमारे भारतीय संस्कृति में बहुत अच्छी तरह से बताया है और उनका वर्णन भी बहुत अच्छा किया है ।
तो अब हम देखते हैं हमारा यह पहला सवाल की श्राद्ध पक्ष है क्या ? 🌺🌺🌺
इनका जवाब सहज और सरल है । श्राद्ध पक्ष यानी कि हमारे माता-पिता या दादा-दादी या पर दादा जिनका भी देहांत हो जाता है मृत्यु हो जाती है और उसके बाद उसको शास्त्रोंयुक्त पूजा-विधि और भोजन खिलाने की या तर्पण करने की जो व्यवस्था है, उसी को हम श्राद्ध पक्ष कहते हैं । दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे जो पूर्वजो है पितृओ है उनको भोजन पकवान बनाकर खिलाने की या तर्पण करने की विधि को हम श्राद्ध पक्ष कहते हैं । श्राद्ध पक्ष को श्राद्ध कर्म भी कहते हैं और कागवास भी कहा जाता है । हमारे शास्त्रों में ऋषि मुनियों ने श्राद्ध के बारे में पूरा विस्तृत से बताया है और उनकी भारी महिमा का वर्णन भी किया है । उनमें से एक महर्षि मरीचीने भी श्राद्ध की व्याख्या बताई है, जैसे कि पितरों को तर्पण निमित जो सात्विक भोजन श्रद्भाभाव से और प्रेम से दिया जाए उसे श्राद्ध कहा जाता है……🌺🌺🌺
और एक महर्षि पराशर ने भी इस श्राद्ध के बारे में बहुत अच्छी व्याख्या बताई है , जैसे कि देश, काल तथा पात्र में हविषष्यादि विधि अनुसार जो जल,तिल, कुश, फूल विगेरे इत्यादि चीज-वस्तुओ और पितृतर्पण मंत्रोच्चार युक्त किया जाए उसी को भी हम श्राद्ध कहते हैं……और हमारा एक और दूसरा सवाल है कि यह श्राद्ध पक्ष कब आता है ? 🌹🌺🌸🪻🌿 यह श्राद्ध पक्ष साल में एक ही बार आता है । और वह भी भाद्र महीने में…… श्राद्ध पक्ष हर बार अनंत चौदस के बाद शुक्ल पक्ष की भाद्र माह की पूर्णिमा से लेकर भाद्र माह की अमावस तक चलता है । यानी की 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष रहता है । इसलिए इसको 16 श्राद्ध भी कहते हैं क्योंकि यह 16 दिन तक चलता रहता है …..…..🌹🌹🌹
और हमारा आखरी सवाल था की हम श्राद्ध क्यों करते हैं ? यह भी बहुत अच्छा सवाल था । हमारे सनातन धर्म में जो कुछ विधियां या पर्व का उत्सव मनाते हैं उनके पीछे बहुत बड़ा कारण छुपा रहता है । श्राद्ध इसीलिए किया जाता है क्योंकि हमारे पितरों को भोजन तर्पण करने से तृप्ति मिलती है संतुष्टि मिलती है और आशीर्वाद भी देते हैं । श्राद्ध कर्म करने से मनुष्य को पुण्य फल प्राप्त होता है और पितरों की अच्छी सद्गति होती है । श्राद्ध कर्म करने से घर में सुख-शांति, धन-धान्य और लक्ष्मी सदा वहां निवास करती है । यदि हम श्राद्ध कर्म की विधि नहीं करते हैं तो हमारे पितरों नाराज होते हैं और हमें पितृदोष लगता है । इसलिए श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए । श्राद्ध कर्म भी एक प्रकार का यज्ञ हीं है, जो हमें पुण्य प्रदान करता है ।🌺🌺🌺
श्राद्ध पक्ष में बोले जाने वाले कुछ मंत्रों नीचे दिए हुए हैं उनका आप जाप कर सकते हो……..
1) यह मंत्र आप जब पितरों को तर्पण करते हो तब यह मंत्र आप अवश्य पड़े जिससे आपको और अधिक लाभ होगा……… ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ ।
2) यह मंत्र आप जब अपने पितरों को पिंडदान करते हो तब यह मंत्र का जाप कीजिए.……. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
3) और एक तीसरा मंत्र है जब आप श्राद्ध पक्ष में पूजा विधि करते हो इस दौरान यह मंत्र का जाप अवश्य कीजिए जिससे आपको ओर अधिकतम लाभ होगा और आपका श्रद्धा कर्म किया हुआ अपने पितृलोक तक पहुंचता है……. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ।।
हरे राम……हरे राम……हरे राम…….
ॐ……..ॐ……..ॐ……..