🌺🌺 शरद पूर्णिमा विशेष :- 🌺🌺
🌹🌹हरे राम …… हरे राम….. हरे राम …..ओम नमो नारायण……. ओम नमो नारायण ……..ओम नमो नारायण …….🌹🌹
🌺🌺 आज शरद पूर्णिमा है । इसलिए सभी भक्तजनों को शरद पूर्णिमा की खूब-खूब हार्दिक शुभकामनाएं…..!आज यहां मैं शरद पूर्णिमा के बारे में बताने का प्रयास करूंगा ठीक है ……🌺🌺
🌺🌺 हमारी भारतीय संस्कृति, सनातन संस्कृति एक महान संस्कृति कहलाती है । क्योंकि हम सनातन संस्कृति के सारे पर्व मनाते तो हैं, परंतु साथ में पूनम को भी विशेष रूप से दर्जा देकर उत्सव के रूप में मनाते हैं । इसलिए हमारी संस्कृति महान संस्कृति कहलाती है । शरद पूर्णिमा सब पूर्णिया से बड़ी पूर्णिमा है । इसलिए साधु संतों ने इस पूर्णिमा का गान शास्त्रों में, वेदों में, पुराणों में , अधिकतर गाया है । क्योंकि इस शरद पूर्णिमा का नाता हमारे भगवान श्री कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है ।
इसी दिन भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रासलीला रचीथी । यानी कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण गोपीओ के साथ डांडिया रास खेले थे । जिनका प्रभाव इतना गहरा था कि गोपियों अपनी शान-भान खो बेठी थी । क्योंकि उसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों को अधरामृत का पान करवाया था । उसी का पान करने से गोपियों को अलौकिक आनंद की अनुभूतियां हुई थी । जो भी गोपी जहां भी देखे वहां भगवान श्री कृष्ण ही, श्री कृष्ण दिखाई देते थे । कहां जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने योगशक्ति से कई सारे कृष्ण का रूप धारण किया था । यानी की जितनी गोपिया थी उतने कृष्ण के रूप बनाए थे । भगवान कृष्ण की यह रासलीला इतनी प्रभावशाली थी, कि स्वयं भगवान शिवजी साड़ी पहनकर वहां डांडिया रास खेलने आ गए थे । इसलिए इस शरद पूर्णिमा का महत्व अधिक बताया गया है । क्योंकि इस पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण, राधा और भगवान शिवजी का जो सहयोग बना, जिससे वातावरण में मधुरता, नीरव शांति और पवित्रता छा गई थी । इसीलिए हम इस पूर्णिमा को बहुत आदर से, प्रेम से, भक्ति भाव से मनाते हैं ।
आप और हम सभी लोग जानते हैं कि साल में 12 माह होते हैं और सभी मास की एक पूनम होती है । यानी की 12 मास के 12 पूनम होती है । इस सभी पूनम अपनी अपनी जगह पर सही है, परंतु शरद पूर्णिमा इस सभी पूनम से अलग तरह आती है क्योंकि शरद पूर्णिमा अपने आप में एक विशेष रूप से तरी आती है ।
शरद पूर्णिमा आश्विन मास में सबसे अंत में आने वाली पूर्णिमा है और यह सब पूर्णिमा। से बड़ी पूर्णिमा होती है । इसी दिन चांद पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है । इसलिए हमें चंद्र पृथ्वी पर से बहुत बड़ा दिखाई देता है । चंद्र हमें शीतलता देता है । क्योंकि उनका स्वभाव शीतल है । शरद पूर्णिमा के दिन यदि साधक जप-तप और साधना करता है, तो वह साधना का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है । क्योंकि इसी दिन चंद्र अपनी सोल कलाओं से खिल जाता है । शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र की शीतल डा इतनी व्यापक होती है कि जो भी साधन ज्ञान योग की मुद्रा में आसन बिठा के ध्यान करता है तो उनका ध्यान तुरंत लग जाता है । उनका मन अपने आप शांत होने लगता है । फिर धीरे-धीरे भीतर का आनंद और सुख का अनुभव करता है ।
इसी दिन यदि विद्यार्थी भाई-बहन चंद्र के सामने एकाग्रता से एक टक देखा है, तो उनका मन शांत होता ही है, परंतु साथ में यादशक्ति में गजब का सामर्थ्य आ जाता है । वह जो भी मन से पढे, वह उसे याद रह जाता है । इसलिए इस दिन विद्यार्थियों को तो खास एक आसन पर बैठकर चंद्रमा को एक टक देखना चाहिए । जिससे उनकी एकाग्रता तो बढ़ेगी, साथ में यादशक्ति भी बढेगी ।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें से अमृत झरता है । इसलिए रात को सब काम छोड़कर मन को शांत करके ध्यान में बैठ जाना चाहिए । क्योंकि इसी दिन पृथ्वी पर चंद्रमा की किरणें पूर्ण कला से पृथ्वी पर आती है । जिसमे अमृत की बूंदे होती है । उसी दिन अमृत की बुंदे चारोंओर वातावरण में प्रसारती है । इस भूमिका हमें ध्यान से ध्यान के माध्यम के जरिए हमें पान करना चाहिए ।
और साथ में इसी दिन हम लोग दूध पौंआ का प्रसाद का भोग लगाकर खाते है । दूध पौंआ जो हम घर में बनाते है । उसको रात्रि में एक बर्तन में सफेद बारीक कपड़े से ढक कर पूनम की किरणें में रख देना है । और कुछ घंटे तक रखकर फिर उसे प्रसाद का भोग आरोगना है, तब जाकर हमें उसे दूध पौंआका फायदा होता है । जिसको खाने से हमारे शरीर में एक रोग प्रतिकारक शक्ति का संचार होता है । जो हमें पूरे साल भर स्वस्थ और निरोगता रहने में सहायक बनता है । इसलिए इसी दिन दूध पौंआ का प्रसाद अवश्य खाना चाहिए या दूध की खीर…. उससे हमें बहुत बड़ा लाभ होता है, फायदा होता है । तो यह चंद्रमा का महत्व शरद पूर्णिमा का महत्व हमने जाना, समझा…. तो सभी भाई बहन और साधक इस पूर्णिमा का खूब फायदा उठाइए । यहीं मेरी मनोकामना है….यही मेरा संकल्प है….. और यही मेरी इच्छा है…..!
🌹🌹ओम….. ओम….. ओम……🌹🌹
🌹🌹 हरे राम……. हरे राम……हरे राम…… हरे राम….. 🌹🌹
🌹🌹नारायण……. नारायण……. नारायण…….🌹🌹
🌹🌹🌹ओम………. ओम……… ओम…….. ओम…….. ओम……..!🌺🌺🌺
🌹🌹🌹 हरे राम…….. ! हरे राम……..! हरे राम……..!🌺🌺
🪻🪻 बोलो माॅं आद्यशक्ति जगदंबा माता की जय………🪻🪻